Sunday, May 17, 2020

ऊँचा और नीचा

दोस्तो,नमस्कार,
आज का विषय हैं,ऊंचा और नीचा। आप और हम सभी सदैव व प्रतिदिन सुनते हैं कि वो ऊंचा हैं वो नीचा हैं। यानी धन दौलत और बंगले व गाड़ियों को लोग कहते हैं ऊंचा और जिसके पास ऊपर लिखी बाते नही समझो वो नीचा हैं। कही कही यह बात सच्च भी हैं मैं जातियों और धर्मो की उंच नीच की बात नही कर रहा हूँ।
महात्मा गौतम बुद्ध ने कहा था और अन्य बड़े साहित्यकारों ने कहा हैं कि ऊंचा उठना और नीचा रहना सिर्फ इंसान के हाथ मे हैं या फिर कुदरत न ऐसे कर्म देकर भेजे हैं।
शेर और सियार दोनो जंगली जानवर हैं। अब दोनों अपना जीवन चलाते हैं। दोनो के अपने अपने धड़े हैं वंश हैं बिरादरी हैं। लेकिन एक को राजा कहते हैं। एक को सिर्फ  सियार कहते हैं। दोनो जानवरो को आप क्या कहते है वो आपको पता हैं।
अब आते हैं कि शेर रिस्क लेना जनता हैं। अपने डर से दूर जिंदगी को खुले आसमान के नीचे बिना किसी भय के रॉब के साथ स्थिर रहकर अंदर से बिना डरे और बिना हिले समय से आने शिकार की व्यवस्था करता हैं। जंगल मे उसकी दहाड़ और उसके जीने का अंदाज और शरीर की बनावट के साथ उसके सबसे बड़े गुण के में एक गुण हैं शेर के जंगल मे रहने से बाकी जंगली जानवर भी शिकारी के शिकार और आसपास के गॉंवों से आने कुत्तो से रक्षा करता हैं।
दूसरा जब भी शेर शिकार करता हैं उसको एक बार ही खाता हैं उसके बाद अन्य जानवरों के लिए छोड़ देता हैं और निकल पड़ता हैं आगे शिकार की तरफ। बचा हुआ शिकार खाता हैं सियार और अन्य जानवर। यानी शेर ने शिकार किया खुद ने भी खाया और दूसरों को भी खाने के लिए छोड़ दिया। शेर कभी दुबक कर शिकार नही करता। शेर शिकार दहाड़ कर करता हैं। यह गुण शेर को दबंग बनाते हैं। जो जंगली जानवर शेर के सानिध्य में रहते हैं उनका कोई अन्य जानवर बाल भी बांका नही कर सकता। अर्थात अपने साथ रहने वालों की रक्षा।
अब बात करते हैं सियार की। सियार शिकार दुबक कर चुप कर आसपास के क्षेत्रों में शिकार करता हैं। उस शिकार को छुपा कर जब तक स्वयं खायेगा जब तक उसमे कुछ अंश शेष रहेंगे। सियार की आवाज को लोग बेकार और फालतू कहते हैं। सियार की आवाज में कायरता होती हैं। सियार को भी जन्म प्रकृति न ही दिया।
 कारण एक ही बताना चाहती हैं प्रकति मैंने भी जीवन को अलग अलग सांचो में ढाला हैं। अब जिस जानवर में दबंगता और रक्षा करने के साथ साथ दहाड़ होगी को रिस्क लेगा उसके पास गाड़ी,बंगला,नोकर चाकर, धन दौलत होगी न।
 जो कायर होगा वो जीवन को बड़ा भार समझेगा और पेट पालन को सबसे बड़ा मानेगा। वो अपने जीवन मे सिर्फ दास बनकर अपने जीवन को दूसरों को सौंप देगा कुछ चंद रुपयो के लिए। वो नॉकर बनकर अपने कीमती जीवन को दास प्रथा में बिता देगा। तो वो क्या खाक ऊँचा उठेगा। इस प्रकार के लोग नीचे जीवन को जियेंगे।रहेगा तो अमीर दास या गुलाम।
एक वो होगा जो किसी से काम करवाएगा। या जो काम देगा अर्थात किसी को पालने का जो मादा रखता हैं। जो अपने जीवन को इस संसार मे कुछ ऐसे कार्य को करने में लगा देता हैं जिससे विश्व मे एक नई क्रांति आये तो वो रिस्क लेगा। इसलिए ऊंचा उठ जायेगा।
जातियों का निर्माण कर्मो से हुआ हैं न कि भगवान ने बनाई। अगर किसी साधारण व्यक्ति ने अपना बलिदान दिया हैं उसके परिवार की आज भी इज्जत हैं और प्रातः वंदनीय हैं। राजा और सम्पूर्ण राजपरिवार जिसको धोक देते हैं
कर्म ऐसा करो रिस्क ऐसा लो जो मानवता के लिए और संसार को स्वर्ग बना सके। रिस्क ऐसा लो जिससे किसी का भला हो। रिस्क ऐसा लो जिसमे स्वयं का स्वार्थ निहित न हो। रिस्क ऐसा लो जिसमे गरीब अबला पशु पक्षी और जगत का कल्याण हो। मैं दावे के साथ कहता हूँ कि ऐसे मानव की कीर्ति सम्पूर्ण विश्व मे फैलेगी। जो इस दुनिया से जाने के बाद भी सदियो तक लोग इतिहास के पन्नो में याद रखेंगे।
  एक वो मानव जो सिर्फ अपने पेट पालन को दुनिया मे सबसे बड़ा मानता हैं। जो जिसकी कोई आजादी नही। जो दो वक्त की रोटी के लिए गुलाम बनकर जीवन जीने को धन्य मानता हैं। जिसने अपने पुत्रों और पुत्रियों की शादिया करवादी। या एक आशियाना बना दिया। जिसने कभी दुनिया के बारे में नही सोचा जिसने अपने आपको अपने परिवार के खोल तक सीमित रखा और कभी बिना स्वार्थ दो कदम नही चला। जो सदैव अपने जीवन को कोल्हू के बेल की तरह आने घर के चक्कर काटने में बिता दिया। तो उसका जीवन थोड़े ऊंचा होगा ऐसा तो दुनिया की 90% से 95% आबादी करती हैं। कौनसी बड़ी बात की।
अब शायद आपको समझ मे आ गया होगा कि ऊंचा और नीचा जीवन जीने की कला में हैं।
जो मुसीबतो से टकराएगा वो महान बनेगा। जो सुरक्षा के दायरों में रहेगा। वो क्यो याद किया जाएगा।
अब क्या बनना हैं ऊंचा या नीचा वो हमारे सामने हैं।

Saturday, February 8, 2020

take risk take enjoy || रिस्क लो मजे करो

रिस्क लो मजे करो

आज जिस विषय पर मै लिखूंगा वो विषय ऊपर दिए विषय पर आधारित हैं. अर्थात रिस्क लो मजे करो. अब रिस्क किस दिशा में ली जा  रही हैं वो महत्वपूर्ण हैं. अगर रिस्क सकारात्मक व् मानवता के विकास के लिए उत्तम हैं या मतलबी,गलत दिशा की तरफ हैं सफल तो दोनों होगी लेकिन सकारत्मक सफलता और रिस्क किसी विशेष उदेश्य व् मानवता के कल्याण में कार्य करेगी. नकारत्मक सिर्फ और सिर्फ दिखावा और मानवता के खिलाफ होगी.

   अगर मेरीकॉम ने सकारत्मक रिस्क लिया तो अपने स्वयं के जीवन केसाथ साथ भारत का नाम रोशन किया। मेरीकॉम ने जब रिस्क लेने की ठानी तब सकारात्मक दिशा में रिस्क लिया। जबकि दाऊद इब्राहिम ने धमाकों के साथ ज रिस्क व् एन्जॉय की दिशा तय की वो नकारात्मक दिशा की सोच का परिणाम हैं.
कल आप कैसे और किस दिशा में जायेंगे उसका समय वर्तमान और अभी इसी क्षण जो किया जा रहा हैं वही आपकी रिस्क और वही आपका भविष्य होगा.

आज मिल्खा सिंह को दुनिया जानती हैं. लेकिन उनके साथ कितने फौजी थे कौन थे क्या नाम थे क्या पद थे कोई नहीं जनता कारन एक ही हैं. बाकि के फौजी जीवन के एक स्तर तक ही सोच पाए जबकि मिल्खा सिंह ने दूसरे पायदान  सोचा की दूध ज्यादा कैसे मिल सकता हैं. मन में आये इस प्रश्न का उत्तर था कज्ब सामने दूध के काउंटर पर बैठे फौजी ने कहा अगर दूध जायदा चाहिए तो खिलाडी बन. अब आगे की रिस्क तो उसको लेनी थी. जो अन्यो से एक्स्ट्रा और अलग व् ज्यादा के लिए ज्यादा मेहनत करेगा तभी तो उसकोज्यादा मिलेगा। उसी समय तय की गयी रिस्क और सोच का परिणाम मिल्खा सिंह हैं.
  जबकि बाकि फौजी अपने उसी स्तर से खुश थे. बाकि के फौजी रिस्क उतनी ही ले पाए तो उतना ही मिला। जो जितनी रिस्क ले सकता हैं दुनिया में झंडा उसी का लहराता हैं.
मै अन्य महापुरुषों की कही बातो की न्यूज़ और लाइफ मैनेजमेंट कटिंग भी ब्लॉग में डालूंगा जिसको आप पढ़ सकते हो. इससे आपको पता चलेगा की रिस्क लेने और दुसरो से आगे निकलने का तरीका क्या था क्या होसकता हैं क्या होगा. सबसे पहले और सबसे बड़ी सफलता की कड़ी एक ही होगी इसको चेक कर  लेना। जिसका जैसा लक्ष्य वैसी मेहनत आपको करनी पड़ेगी।
सफलता रातो रात और जरुरी नहीं की मिलेगी। लेकिन सतत्त  किया जा रहा प्रयास ही वो कड़ी और टॉनिक हैं जो सफलता की गारंटी देता हैं. हजारो लाखो लोगो ने सफलता के झंडे इस दुनिया  में गाड़े हैं लेकिन इसके लिए वो कितने बेइज्जत और कितने दुखो से गुजरे होंगे वो तो वक्त ही जनता है  या उन महान लोगो की आत्मा ही जानती हैं.
आज जो सफल हैं उसको कभी पास बैठ कर उसको टटोलो उसके अंदर की आवाज आपको सबकुछ बया कर देगी। कितना संघर्ष उस व्यक्ति में हैं वो आपके  जायेगा. अक्सर लोग कहते हैं की फलाना आदमी तो सफल हो गया हैं. लेकिन उसकी सफलता के पीछे लगी अथक मेहनत और संघर्ष की कहानी बिरले ही जानते हैं.
 इसलिए दोसो लाइफ मैनेजमेंट में आपको अन्यो से आगे सोचना होगा। आप कैसे जीवन में आगे बढ़ेंगे इसके लिए आपको  उस दिशा के  संघर्ष से रूबरू होना हॉग. 

Sunday, June 16, 2019

Fathers Day

आज Fathers Day हैं. मतलब पिता का दिन. विदेश में आज लोग पिता के लिए Fathers Day का आयोजन मनाते  हैं.  Fathers Day का चलन भारत में तेजी से बढ़ रहा हैं. आज 16  जून को Fathers Day के रूप में मनाया जाता हैं. दोस्तों और युवा मित्रो क्या आपने कभी सोचा हैं की माँ के साथ साथ पिता का भी हमारे जीवन में कितना उपयोग और महत्व हैं.

  Father अर्थात पिता जिसके अंश से हमने इस दुनिया में हमने जन्म लिया और इस प्यारी धरती का हम भोग कर रहे हैं. हालाँकि हम सुखी हैं या दुखी हैं पिता अपना 100% हमे खुश और आराम देने में लगा देता हैं.

  कभी हमे अपने पिता को किसी से काम नहीं आंकना चाहिए क्योकि किसी महापुरुष ने कहा एक कहानी कही हैं जिसका कुछ सार में आपके सामने रखता हूँ.
 एक बार पिता अपने पुत्र के ऑफिस में यह सोच कर जाता हैं की मेरा पुत्र मेरे बारे में क्या सोचता हैं. जबकि मै पुत्र को ज्यादा सुविधा नहीं दे सका. जो भी सुख सुविधा बनायीं या हासिल की पुत्र ने अपने बल पर हासिल की हैं.  लेकिन आज मेरा पुत्र कितना आमिर हैं और कितनी बड़ी कंपनी का मालिक हैं और मुझे कितने बड़े बंगले में रखता हैं. और खुद अपनी कम्पनी में बड़े से ऑफिस में नोकरो और चाक्करो  के साथ आराम तलब और अच्छी जिंदगी जी रहा हैं.

  पिता अपने पुत्र के आलीशान कंपनी ऑफिस में प्रवेश करता हैं. तो पिता को वहा देख कर पुत्र फाटक से खड़ा होता हैं. पिता के पैर  छूकर  अपनी चेयर पर बैठ  जाता हैं. पिता अपने पुत्र के पीछे जाकर खड़ा होजाता हैं और पूछता हैं बेटा  इस दुनिया में सब बड़ा ताकतवर कौन. पुत्र बोला  मैं. पिता ने पुत्र के कंधे पर हाथ रख कर कहा की अब बताओ इस दुनिया में सबसे खुशनशीब कौन बेटा  बोलै मैं. पिता का चेहरा थोड़ा मुरझा गया और पिता फिर बोला  बेटा  ताकतवर  या पिता। बेटा  बोला  अभी तो मै  ताकतवर हूँ.

  पिता चुप चाप वापिस अपने घर की तरफ मुड़  गया और आँखों में आंसू निकल पड़े. जैसे ही पिता ऑफिस से बहार निकलता हैं. बेटा  तुरंत आगे बढ़ कर पिता को वापस ऑफिस में लाता  है और अपनी कुर्सी पर बैठता हैं. पिता को थोड़ा आशचर्य  होता हैं. और पुत्र से पूछता हैं की मैंने तुम्हे जो पूछा उस समय तूने जो जवाब दिया था क्या वो वास्तव में सही कहा. पुत्र ने कहा हां. जब आप मेरे पीछे खड़े थे तब मै  सबसे खुशनसीब था और जब आपने मेरे कंधे पर हाथ रखकर पूछा की दुनिया में सबसे ताकतवर कौन तो उस समय तो मै  ही  था था क्योकि आपका हाथ मेरे कंधे पर था. और जिसके पिता का हाथ पुत्र के कंधे पर हो और जो पिता सदैव पुत्र के पीछे खड़ा हो उस पुत्र से ताकतवर कौन हैं. पिता की आँखों से प्यार और सन्मान के आंसू एक साथ निकल पड़े.

 तो दोस्तों मेरे मानना हैं की पिता हमे दुनिया में अपनी हैसियत से जो कुछ भी दे वो हमारे लिए स्वर्ग से भी बड़ा हैं. पिता के द्वारा दिया गया रुखा सूखा भी छप्पन भोग से बढ़  कर हैं. इसलिए आप अपने जीवन में किसी भी मुकाम पर पहुँच जाओ. पिता को सन्मान अवश्य देना। क्योकि पिता अपने बच्चो को जीवन  में वो हर ख़ुशी देना चाहता  हैं जो उसकी हैसियत में हैं. पिता हैसियत से नहीं उससे भी बढ़कर हैं.  इस लिए इस Fathers Day पर आप सभी अपने पिता चरण छू कर और जिनके पिता नहीं हैं अपने दिल से आत्मा से आसमान की तरफ देख कर एक बार अपना मस्तक पिता के सन्मान में अवश्य झुकाये। अपने शहर,गांव या मोहल्ले में आज पिता के सन्मान में आयोजन अवश्य करे. 

Saturday, June 15, 2019

संघर्ष और सफलता

दोस्तों आपने जीवन में एक शब्द तो हमेशा सुना हैं संघर्ष। हर किसी की जुबान से एक शब्द सुनते हैं की मैंने जीवन में इतना संघर्ष किया इतनी तकलीफ देखी।  मैंने जीवन में इतनी तकलीफ देखी।  क्या कभी सफल इंसान के मुँह से कभी आपने यह सुना हैं की मैंने जीवन में हमेशा मजे किये या आराम किया और अचानक मजे मजे में जिंदगी बन गयी.
  दोस्तों ऐसा कभी नहीं हो सकता। क्यों की बिना तपे  सोने से कभी गहना नहीं बनता। बिना तपे  लोहे से कभी औजार नहीं बनते। जब तक कोई धातु हो या इंसान या पशु कभी सफलता और गुणों की को आत्मसात नहीं कर सकता। जब कोई धातु,इंसान या पशु तपता हैं अर्थात संघर्ष करता हैं तब कुछ फल अर्थात रिजल्ट मिलता हैं. फल और रिजल्ट को ही हम सफलता कहते हैं.

आराम और संघर्ष का हमेशा उल्टा नियम हैं. बादल  भी हवा से संघर्ष करके वर्षा करते हैं. अगर हमे ऊंचाई वाली जगह पर चढ़ना हैं तो ऊंचाई से संघर्ष करना होगा. नियम कहता हैं जितना संघर्ष उतनी सफलता बड़ी. संघर्ष होस हवास  और ध्यान व् ज्ञान के साथ होना जरुरी हैं. जब आपको अच्छे और साफ सुथरे कपडे पहनने का शौक हैं तो आपको बाथरूम में पहले कपडे धोने पड़ेंगे और उस समय आपको मेहनत करनी होगी कपड़ो को रगड़ने के समय आपको पसीना आयेगा और थकान  भी होगी यदि उस समय आप कपडे धोने से डर  गए तो आप साफ सुथरे उजले बिना मेल के कपडे नहीं पहन सकते।

  मेरा जीवन में काफी जगह का अनुभव रहा हैं की भले आप मेहनत करते हैं और फल तुरंत नहीं मिलता लेकिन देर सवेर  आपको उस मेहनत का फल अवशय मिलेगा। आपकी मेहनत और गंभीरता ही आपके जीवन के सफलता के पायदान को तय करती हैं. दोस्तों सदैव फल जल्दी या तुरंत भी अगर न मिले तो अपनी मेहनत में कमी न आने दे.  मेहनत ही वो जड़ी बूटी हैं जो की सफलता रूपी जहाज को आपके पास आने को मजबूर करता हैं.

 मै  और आप अक्सर और प्रतिदिन गली और मुहल्लों में पढ़ने वाले छात्रों को फालतू घूमते हुए या स्कूल और कॉलेज में अपने समय को पढ़ने के बजाय फालतू मटरगस्ती में खराब करते हैं. क्या उन मुर्ख छात्रों को यह पता नहीं हैं की वो सफलता से कोसो दूर जा रहे हैं. सिर्फ वो अपना कीमती समय उलटे सीधे और आवारा कामो में अपना समय ख़राब कर रहे हैं. दुनिया में सबसे कीमती अगर कोई हैं तो वो समय हैं.
 अगर समय की कीमत को कोई नहीं समझता हैं तो समय आपको कभी सफलता रूपी देवी के दर्शन नहीं करने देगा.  अब सफलता का माप दंड आपको कैसा लेना हैं यह आपके अंदरूनी विचारो और त्याग और विश्वाश  और धैर्य व् सफलता को पचाने  पर निर्भर करता। कुछ लोग छोटी सफलता पर खुश और संतुस्ट हो जाते। कुछ लोग नौकरी करके और लेकर अपने आप को सफल मानते हैं तो कुछ लोग किसी को नौकरी देकर अपने आप को सफल मानते हैं. कुछ जीवन भर बड़ी बड़ी सफलता प्राप्त करने के बाद भी संघर्ष में लगे रहते हैं. और कुछ छोटी सी सफलता मिलने के बाद अपने आप को दुनिया में सबसे बड़ा सफल मानते हैं. एक घर,शादी और अपने जीवन यापन और नौकरी को कुछ लोग दुनिया की सबसे बड़ी सफलता मानते हैं. लेकिन वही धीरू भाई अम्बानी को तूच लगी और वो बड़ी सफलता के लिए घर से निकल पड़े और आज आपके सस्मने रिलायंस जैसा चमचमाता सफल व्यापार  हैं जिसका मजा उनका परिवार ले रहा हैं.

दोस्तों जीवन में सफलता की अपनी अपनी परिभाषा हैं. एक ही कक्षा में पढ़ने वाले अलग अलग विद्यार्थी अपने जीवन में अलग अलग मुकाम तय करते हैं  यह उनके अंदरूनी विचारो और कार्यशैली का परिणाम हैं. एक विद्यार्थी अपने एक वर्ष के अध्ययन  कार्यकाल में शिक्षा  पर कितन गंभीर होता है इसका परिणाम हैं परीक्षा और प्रतिशत। 
   अतः  दोस्तों इस लेख का मुख्य मकसद हैं जीवन को सफल बनाने के लिए सदैव संघर्ष करते रहे जीवन में आप कुंदन बनकर अवश्य छलकेंगे यह मेरा दावा   हैं. 

Thursday, June 13, 2019

सफलता

सफलता यह शब्द हम सभी के लिए अनजान नही हैं। इस शब्द को हम प्रतिदिन और हर क्षण सुनते हैं। फला आदमी सफल हो गया हैं। फला ने जीवन की सबसे बड़ी सफलता हासिल कर ली हैं। 

अक्सर बच्चो के माँ -बाप अपने बच्चो को डांटते और फटकारते हुए कहते हैं। सुधार जा देख तेरे साथ वाले लड़के पढ़ लिख कर सफल हो गए और एक तू हैं कि अभी भी हमारी रोटी तोड़ रहा हैं। 

कुल मिलाकर आप और हम सभी सफलता से दोचार जीवन मे कभी न कभी होते ही हैं। लेकिन कभी सोचा हैं कि सफलता का माप दंड क्या हैं। 

सफलता को मापने के इकाई क्या हैं। सफलता के बाद कौनसे सितारे किसी के कंधे या सीने पर लगते हैं। सफलता का माप दंड अगर समझना हैं। तो सबसे पहले आप अपने आप से यह पूछो की आप क्या पाना चाहते हैं और आप किसी दिशा और विभाग में कुछ करना चाहते हैं।

कोई खिलाड़ी बनना चाहता हैं। कोई डॉक्टर और कोई बड़े ओहदे की नॉकरी और कोई बड़ा बिज़नेस मैन। कुल मिलाकर हर व्यक्ति की अपनी अपनी मंजिल और अलग अलग सफलता का स्वाद हैं।

जब हम किसी विशेष मुकाम को पा लेते है तो हम अपने आप को सफल मानते हैं। जब बिज़नेस अच्छा चल निकलता हैं तो हम अपने आप को सफल मानते हैं। 

सफलता किसी एक पायदान पर पहुचने के बाद होने वाला अहसास हैं। जहाँ हमारे साथ चलने वाले लोग हमें कहते हैं। तुम तो सफल हो गए। कास मेरा बेटा या भाई भी तुम्हारी तरह सफल हो पाता।

दोस्तो कभी भी एक कि सफलता को किसी अन्य से जोड़े। क्योकि सफलता सिर्फ एक पायदान हैं। वास्तविक सफलता तो मिलती हैं। जब कोई अपना पूरा जीवन जी कर अंतिम पड़ाव पर पहुंच जाता हैं। तब कही धीरे से कहता हैं कि अब किसी बात की चिंता मत करो तुम तो जीवन मे सफल होकर जा रहे हो। लेकिन बोलने वाला यह क्यो नही सोचता कि मौत से असफल हो गया। 

इसलिए दोस्तो जीवन मे सफलता नामक भरम में न रहकर सिर्फ और सिर्फ मानवता और अपने लिए जीवन को सुचारू जीते चले। फिर क्या सफलता और क्या असफलता। जीवन मे जो कुछ भी मिला वो सबकुछ सफलता की निशानी हैं। जिस दिन आप असफल हो जाओगे। मौत आपके सामने खड़ी मिलेगी।

Sunday, June 9, 2019

ध्यान क्या हैं!

मोटिवेशन मंत्र

ध्यान क्या हैं अक्सर हम बड़े बुजुर्गो से सुनते आ रहे हैं की ध्यान रखो. फलाना आदमी सफल हो गया क्योकि उसने ध्यान दिया या ध्यान रखा. मदोस्तो आप एक बात से ही समझ  जाओगे की अँधेरी रात में सिर्फ एक हेड लाइट से कैसे एक गाडी हजारो मील लम्बा और घने जंगलो के रस्ते को पार कर जाता हिन्. तो एक ही बात आएगी ध्यान. दोस्तों ध्यान गाड़ी की लाइट की तरह हैं. अगर उसको अंदर से जला दोगे तो आप जीवन के किसी रस्ते पर असफल नहीं होंगे। 

मोटिवेशन मंत्र

जीत मन में छुपी हैं!

दोस्तों क्या पानी कुए से बहार हैं. जब भी हम पानी की बात करते हैं तो यही कहते हैं की कुए से पानी निकल लो. दोस्तों हमारी हार या जीत भी हमारे अनादर ही छुपी हैं. फर्क सिर्फ उस लक्ष्य को पहचानने में हैं.

 रामायण में उड़ने की कला हनुमान छुपी थी लेकिन हनुमान को पता नहीं था. जब समय आया और विपत्ति आयी तो जामवन्तजी ने  हनुमान को सात समुन्दर पार उड़कर जाने की कला बता दी और जामवंत जी ने हनुमान जी से  कहा की उड़ने के कला तो आपमें पहले से हैं लेकिन अपने उस पर ध्यान नहीं दिय या उसकी जरुरत अभी तक पड़ी नहीं। अतः मेरा मोटिवेशन यही हैं की अपने आप को पहचानो और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करो और मन में ठान लो की मेरी मंजिल मुझे अवश्य मिलेगी। मै दावे के साथ कहता हूँ की आपको आपकी मंजिल तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता।
  किसी ने सही कहा हैं मन के हारे हार है, मन के जीते जीत.  

ऊँचा और नीचा

दोस्तो,नमस्कार, आज का विषय हैं,ऊंचा और नीचा। आप और हम सभी सदैव व प्रतिदिन सुनते हैं कि वो ऊंचा हैं वो नीचा हैं। यानी धन दौलत और बंगले व गा...