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Lo Padho

Thursday, June 13, 2019

सफलता

सफलता यह शब्द हम सभी के लिए अनजान नही हैं। इस शब्द को हम प्रतिदिन और हर क्षण सुनते हैं। फला आदमी सफल हो गया हैं। फला ने जीवन की सबसे बड़ी सफलता हासिल कर ली हैं। 

अक्सर बच्चो के माँ -बाप अपने बच्चो को डांटते और फटकारते हुए कहते हैं। सुधार जा देख तेरे साथ वाले लड़के पढ़ लिख कर सफल हो गए और एक तू हैं कि अभी भी हमारी रोटी तोड़ रहा हैं। 

कुल मिलाकर आप और हम सभी सफलता से दोचार जीवन मे कभी न कभी होते ही हैं। लेकिन कभी सोचा हैं कि सफलता का माप दंड क्या हैं। 

सफलता को मापने के इकाई क्या हैं। सफलता के बाद कौनसे सितारे किसी के कंधे या सीने पर लगते हैं। सफलता का माप दंड अगर समझना हैं। तो सबसे पहले आप अपने आप से यह पूछो की आप क्या पाना चाहते हैं और आप किसी दिशा और विभाग में कुछ करना चाहते हैं।

कोई खिलाड़ी बनना चाहता हैं। कोई डॉक्टर और कोई बड़े ओहदे की नॉकरी और कोई बड़ा बिज़नेस मैन। कुल मिलाकर हर व्यक्ति की अपनी अपनी मंजिल और अलग अलग सफलता का स्वाद हैं।

जब हम किसी विशेष मुकाम को पा लेते है तो हम अपने आप को सफल मानते हैं। जब बिज़नेस अच्छा चल निकलता हैं तो हम अपने आप को सफल मानते हैं। 

सफलता किसी एक पायदान पर पहुचने के बाद होने वाला अहसास हैं। जहाँ हमारे साथ चलने वाले लोग हमें कहते हैं। तुम तो सफल हो गए। कास मेरा बेटा या भाई भी तुम्हारी तरह सफल हो पाता।

दोस्तो कभी भी एक कि सफलता को किसी अन्य से जोड़े। क्योकि सफलता सिर्फ एक पायदान हैं। वास्तविक सफलता तो मिलती हैं। जब कोई अपना पूरा जीवन जी कर अंतिम पड़ाव पर पहुंच जाता हैं। तब कही धीरे से कहता हैं कि अब किसी बात की चिंता मत करो तुम तो जीवन मे सफल होकर जा रहे हो। लेकिन बोलने वाला यह क्यो नही सोचता कि मौत से असफल हो गया। 

इसलिए दोस्तो जीवन मे सफलता नामक भरम में न रहकर सिर्फ और सिर्फ मानवता और अपने लिए जीवन को सुचारू जीते चले। फिर क्या सफलता और क्या असफलता। जीवन मे जो कुछ भी मिला वो सबकुछ सफलता की निशानी हैं। जिस दिन आप असफल हो जाओगे। मौत आपके सामने खड़ी मिलेगी।

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