Sunday, May 17, 2020

ऊँचा और नीचा

दोस्तो,नमस्कार,
आज का विषय हैं,ऊंचा और नीचा। आप और हम सभी सदैव व प्रतिदिन सुनते हैं कि वो ऊंचा हैं वो नीचा हैं। यानी धन दौलत और बंगले व गाड़ियों को लोग कहते हैं ऊंचा और जिसके पास ऊपर लिखी बाते नही समझो वो नीचा हैं। कही कही यह बात सच्च भी हैं मैं जातियों और धर्मो की उंच नीच की बात नही कर रहा हूँ।
महात्मा गौतम बुद्ध ने कहा था और अन्य बड़े साहित्यकारों ने कहा हैं कि ऊंचा उठना और नीचा रहना सिर्फ इंसान के हाथ मे हैं या फिर कुदरत न ऐसे कर्म देकर भेजे हैं।
शेर और सियार दोनो जंगली जानवर हैं। अब दोनों अपना जीवन चलाते हैं। दोनो के अपने अपने धड़े हैं वंश हैं बिरादरी हैं। लेकिन एक को राजा कहते हैं। एक को सिर्फ  सियार कहते हैं। दोनो जानवरो को आप क्या कहते है वो आपको पता हैं।
अब आते हैं कि शेर रिस्क लेना जनता हैं। अपने डर से दूर जिंदगी को खुले आसमान के नीचे बिना किसी भय के रॉब के साथ स्थिर रहकर अंदर से बिना डरे और बिना हिले समय से आने शिकार की व्यवस्था करता हैं। जंगल मे उसकी दहाड़ और उसके जीने का अंदाज और शरीर की बनावट के साथ उसके सबसे बड़े गुण के में एक गुण हैं शेर के जंगल मे रहने से बाकी जंगली जानवर भी शिकारी के शिकार और आसपास के गॉंवों से आने कुत्तो से रक्षा करता हैं।
दूसरा जब भी शेर शिकार करता हैं उसको एक बार ही खाता हैं उसके बाद अन्य जानवरों के लिए छोड़ देता हैं और निकल पड़ता हैं आगे शिकार की तरफ। बचा हुआ शिकार खाता हैं सियार और अन्य जानवर। यानी शेर ने शिकार किया खुद ने भी खाया और दूसरों को भी खाने के लिए छोड़ दिया। शेर कभी दुबक कर शिकार नही करता। शेर शिकार दहाड़ कर करता हैं। यह गुण शेर को दबंग बनाते हैं। जो जंगली जानवर शेर के सानिध्य में रहते हैं उनका कोई अन्य जानवर बाल भी बांका नही कर सकता। अर्थात अपने साथ रहने वालों की रक्षा।
अब बात करते हैं सियार की। सियार शिकार दुबक कर चुप कर आसपास के क्षेत्रों में शिकार करता हैं। उस शिकार को छुपा कर जब तक स्वयं खायेगा जब तक उसमे कुछ अंश शेष रहेंगे। सियार की आवाज को लोग बेकार और फालतू कहते हैं। सियार की आवाज में कायरता होती हैं। सियार को भी जन्म प्रकृति न ही दिया।
 कारण एक ही बताना चाहती हैं प्रकति मैंने भी जीवन को अलग अलग सांचो में ढाला हैं। अब जिस जानवर में दबंगता और रक्षा करने के साथ साथ दहाड़ होगी को रिस्क लेगा उसके पास गाड़ी,बंगला,नोकर चाकर, धन दौलत होगी न।
 जो कायर होगा वो जीवन को बड़ा भार समझेगा और पेट पालन को सबसे बड़ा मानेगा। वो अपने जीवन मे सिर्फ दास बनकर अपने जीवन को दूसरों को सौंप देगा कुछ चंद रुपयो के लिए। वो नॉकर बनकर अपने कीमती जीवन को दास प्रथा में बिता देगा। तो वो क्या खाक ऊँचा उठेगा। इस प्रकार के लोग नीचे जीवन को जियेंगे।रहेगा तो अमीर दास या गुलाम।
एक वो होगा जो किसी से काम करवाएगा। या जो काम देगा अर्थात किसी को पालने का जो मादा रखता हैं। जो अपने जीवन को इस संसार मे कुछ ऐसे कार्य को करने में लगा देता हैं जिससे विश्व मे एक नई क्रांति आये तो वो रिस्क लेगा। इसलिए ऊंचा उठ जायेगा।
जातियों का निर्माण कर्मो से हुआ हैं न कि भगवान ने बनाई। अगर किसी साधारण व्यक्ति ने अपना बलिदान दिया हैं उसके परिवार की आज भी इज्जत हैं और प्रातः वंदनीय हैं। राजा और सम्पूर्ण राजपरिवार जिसको धोक देते हैं
कर्म ऐसा करो रिस्क ऐसा लो जो मानवता के लिए और संसार को स्वर्ग बना सके। रिस्क ऐसा लो जिससे किसी का भला हो। रिस्क ऐसा लो जिसमे स्वयं का स्वार्थ निहित न हो। रिस्क ऐसा लो जिसमे गरीब अबला पशु पक्षी और जगत का कल्याण हो। मैं दावे के साथ कहता हूँ कि ऐसे मानव की कीर्ति सम्पूर्ण विश्व मे फैलेगी। जो इस दुनिया से जाने के बाद भी सदियो तक लोग इतिहास के पन्नो में याद रखेंगे।
  एक वो मानव जो सिर्फ अपने पेट पालन को दुनिया मे सबसे बड़ा मानता हैं। जो जिसकी कोई आजादी नही। जो दो वक्त की रोटी के लिए गुलाम बनकर जीवन जीने को धन्य मानता हैं। जिसने अपने पुत्रों और पुत्रियों की शादिया करवादी। या एक आशियाना बना दिया। जिसने कभी दुनिया के बारे में नही सोचा जिसने अपने आपको अपने परिवार के खोल तक सीमित रखा और कभी बिना स्वार्थ दो कदम नही चला। जो सदैव अपने जीवन को कोल्हू के बेल की तरह आने घर के चक्कर काटने में बिता दिया। तो उसका जीवन थोड़े ऊंचा होगा ऐसा तो दुनिया की 90% से 95% आबादी करती हैं। कौनसी बड़ी बात की।
अब शायद आपको समझ मे आ गया होगा कि ऊंचा और नीचा जीवन जीने की कला में हैं।
जो मुसीबतो से टकराएगा वो महान बनेगा। जो सुरक्षा के दायरों में रहेगा। वो क्यो याद किया जाएगा।
अब क्या बनना हैं ऊंचा या नीचा वो हमारे सामने हैं।

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